Not known Factual Statements About Shodashi

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The working day is noticed with terrific reverence, as followers check out temples, provide prayers, and participate in communal worship occasions like darshans and jagratas.

इस सृष्टि का आधारभूत क्या है और किसमें इसका लय होता है? किस उपाय से यह सामान्य मानव इस संसार रूपी सागर में अपनी इच्छाओं को कामनाओं को पूर्ण कर सकता है?

आर्त-त्राण-परायणैररि-कुल-प्रध्वंसिभिः संवृतं

साम्राज्ञी चक्रराज्ञी प्रदिशतु कुशलं मह्यमोङ्काररूपा ॥१५॥

Her variety is claimed to become essentially the most stunning in each of the three worlds, a attractiveness that isn't simply Actual physical but in addition embodies the spiritual radiance of supreme consciousness. She is frequently depicted as being a resplendent sixteen-year-aged Lady, symbolizing Everlasting youth and vigor.

The Saptamatrika worship is especially emphasised for the people seeking powers of Manage and rule, together with for the people aspiring to spiritual liberation.

सर्वसम्पत्करीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥३॥

ఓం శ్రీం హ్రీం క్లీం ఐం సౌ: ఓం హ్రీం శ్రీం క ఎ ఐ ల హ్రీం హ స క హ ల హ్రీం స క ల హ్రీం సౌ: ఐం క్లీం హ్రీం శ్రీం 

Her Tale consists of legendary battles from evil forces, emphasizing the triumph of fine about evil along with the spiritual journey from ignorance to enlightenment.

ह्रीङ्काराङ्कित-मन्त्र-राज-निलयं श्रीसर्व-सङ्क्षोभिणी

यत्र श्रीत्रिपुर-मालिनी विजयते नित्यं निगर्भा स्तुता

Her position transcends the mere granting of worldly pleasures and extends into the purification in the soul, leading to spiritual enlightenment.

षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र get more info संस्कृत में – shodashi stotram

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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