5 Essential Elements For Shodashi

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कामपूर्णजकाराख्यसुपीठान्तर्न्निवासिनीम् ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥९॥

चक्रेश्या पुर-सुन्दरीति जगति प्रख्यातयासङ्गतं

The Devas then prayed to her to damage Bhandasura and restore Dharma. She is thought to obtain fought the mother of all battles with Bhandasura – some Students are of your view that Bhandasura took different sorts and Devi appeared in numerous varieties to annihilate him. Lastly, she killed Bhandasura with the Kameshwarastra.

The supremely beautiful Shodashi is united in the heart with the infinite consciousness of Shiva. She removes darkness and bestows light-weight. 

प्रणमामि महादेवीं परमानन्दरूपिणीम् ॥८॥

हरार्धभागनिलयामम्बामद्रिसुतां मृडाम् ।

Shodashi Goddess has become the dasa Mahavidyas – the 10 goddesses of knowledge. Her identify ensures that she is the goddess who is always 16 a long time previous. Origin of Goddess Shodashi takes place right after Shiva burning Kamdev into ashes for disturbing his meditation.

भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति read more “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।

ह्रीङ्काराङ्कित-मन्त्र-राज-निलयं श्रीसर्व-सङ्क्षोभिणी

लक्ष्या या पुण्यजालैर्गुरुवरचरणाम्भोजसेवाविशेषाद्-

श्रीगुहान्वयसौवर्णदीपिका दिशतु श्रियम् ॥१७॥

श्रीमद्-सद्-गुरु-पूज्य-पाद-करुणा-संवेद्य-तत्त्वात्मकं

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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